Sunday, 31 January 2016

"पूर्वकृत कर्म के अनुभव स्मृति के रूप में आत्मा में रहते हैं, उन्हें संस्कार कहते हैं । इन्द्रियाँ जिन संस्करों की अभ्यस्त हो चुकी हैं, सामान्यतया वही क्रम दोहराती हैं । अत: जो समझदार है वह जो भी कार्य करते हैं विचार पूर्वक करते हैं । इस संसार में जो कर्म शांत मन से किये जाते हैं और विचार पूर्वक किये जाते हैं, वह सफल होते हैं और उनसे सुख की प्राप्ति होती है ।"